वियोग श्रृंगार रस
छवि अपने पिया की देख के मैं
लज्जा सी गई शर्मा सी गई
ये किसने उनका नाम लिया
अधरों पर हंसी बस आ सी गई
हांथो से मुख ढक कर अपना
सबसे मैं तनिक कतरा सी गई
मेरे अधरों पर अधर धरे फूलों का जैसे अलि पान करे
सांसें मेरी फिर ठहर गई
उनकी बाहों में छा सी गई
मन हुआ प्रफुल्ल इतरा सी गई
-पीयूष बाजपेयी 'नमो'
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